वैद्य मनोरमा केरल निवासी श्री कालिदास विष्वजीत द्वारा मलयालम में लिखित एक अनूठी पुस्तक है। इसमें 20 पटल है, जिनमें विषेश रूप से ज्वरादि रोगों की चिकित्सा का उल्लेख मिलता है। प्रारंभ के द्वादष पटल में गर्भिणी चिकित्सा का वर्णन है। इनके अतिरिक्त दूसरे पटलों में बाल चिकित्सा, ग्रह चिकित्सा, विश चिकित्सा एवम अक्षिकर्णादि रोगों की चिकित्सा का वर्णन है। अंतिम पटल में रसायन वाजीकरण का वर्णन है। इस ग्रन्थ में जिन योगों का उल्लेख किया गया है उनका अन्यत्र कही उल्लेख नहीं मिलता। इसमें मौलिक योगों का बाहुल्य है।